इंडोनेशिया और चीन के बीच व्यापार वार्ता: वैश्विक चुनौतियों के बीच सहयोग की नई दिशा

प्रकाशन तिथि: 25 मई 2025


प्रस्तावना

25 मई 2025 को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो और चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग के बीच जकार्ता में हुई बैठक ने दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अमेरिकी व्यापार युद्ध और संरक्षणवाद की नीतियों से प्रभावित है।


बैठक का उद्देश्य और प्रमुख बिंदु

प्रधानमंत्री ली कियांग की तीन दिवसीय इंडोनेशिया यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार, निवेश, और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा की। उन्होंने “सच्चे बहुपक्षवाद” को बढ़ावा देने और एक-दूसरे के साथ मिलकर वैश्विक चुनौतियों का सामना करने की प्रतिबद्धता जताई।


आर्थिक सहयोग और निवेश

2024 में चीन और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार $147.8 बिलियन तक पहुंच गया, जिससे चीन इंडोनेशिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा। बैठक में दोनों देशों ने मुद्रा लेन-देन, व्यापार, कृषि, और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।


बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और संयुक्त परियोजनाएं

चीन और इंडोनेशिया ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत कई संयुक्त परियोजनाओं पर काम किया है, जिनमें निकेल स्मेल्टिंग प्लांट्स और हाई-स्पीड “Whoosh” रेलवे शामिल हैं। इंडोनेशिया ने चीन के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी भूमिका को और गहरा करने की इच्छा जताई है।


वैश्विक व्यापार परिदृश्य और बहुपक्षवाद

प्रधानमंत्री ली कियांग ने “सच्चे बहुपक्षवाद” को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया, विशेष रूप से अमेरिकी संरक्षणवादी नीतियों के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में। उन्होंने कहा कि चीन और इंडोनेशिया को मिलकर वैश्विक व्यापार में स्थिरता और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।


क्षेत्रीय सहयोग और ASEAN

चीन और ASEAN ने हाल ही में अपने मुक्त व्यापार क्षेत्र (FTA) के उन्नत संस्करण 3.0 पर बातचीत पूरी की है, जिसमें डिजिटल और हरित अर्थव्यवस्था जैसे नए क्षेत्रों को शामिल किया गया है। यह पहल क्षेत्रीय और वैश्विक व्यापार स्थिरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है।


निष्कर्ष

इंडोनेशिया और चीन के बीच यह बैठक दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिससे वे वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत कर सकते हैं। साझा परियोजनाएं, निवेश, और बहुपक्षीय सहयोग की प्रतिबद्धता से यह साझेदारी आने वाले वर्षों में और भी मजबूत हो सकती है।(Image Credit: Arab News – https://www.arabnews.com/node/2578760/world)

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