🏫 पृष्ठभूमि: क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला?
पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) द्वारा 2016 में आयोजित शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में व्यापक अनियमितताएं सामने आईं। इस घोटाले में ओएमआर शीट्स में हेरफेर, रिश्वत के बदले नियुक्तियां, और राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे गंभीर आरोप लगे। CBI और ED की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार हुआ है।
⚖️ न्यायिक कार्रवाई और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2025 में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया, यह मानते हुए कि पूरी भर्ती प्रक्रिया भ्रष्टाचार से ग्रसित थी। हालांकि, कोर्ट ने 13,000 से अधिक ‘निर्दोष’ शिक्षकों को अस्थायी रूप से सेवा में बने रहने की अनुमति दी, लेकिन स्पष्ट किया कि यह उन्हें भविष्य की भर्ती प्रक्रिया में कोई विशेष अधिकार नहीं देगा।
👥 प्रभावित शिक्षक और छात्रों की स्थिति
इस निर्णय से हजारों शिक्षक बेरोजगार हो गए, जिससे उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ा। उदाहरण के लिए, मुर्शिदाबाद के भांगवांगोला हाई स्कूल में 62 में से 21 शिक्षक बर्खास्त हो गए, जिससे छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई।
🪧 विरोध प्रदर्शन और सरकार की प्रतिक्रिया
बर्खास्त शिक्षकों और अभ्यर्थियों ने कोलकाता में शिक्षा विभाग के मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किए। 15 मई 2025 को, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसमें कई लोग घायल हुए। सरकार ने ‘पश्चिम बंगाल जीविका और सामाजिक सुरक्षा अंतरिम योजना’ के तहत ग्रुप C और D कर्मचारियों को ₹25,000 और ₹20,000 की मासिक सहायता देने की घोषणा की।
📜 नई भर्ती प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 31 मई 2025 तक नई भर्ती प्रक्रिया के लिए विज्ञापन जारी करने और 31 दिसंबर 2025 तक पूरी प्रक्रिया समाप्त करने का आदेश दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आश्वासन दिया कि पूर्व में नियुक्त ‘निर्दोष’ उम्मीदवारों को आयु सीमा में छूट और अनुभव का लाभ मिलेगा।
📊 आंकड़े और प्रभाव
- रद्द की गई नियुक्तियां: 25,753
- अस्थायी रूप से सेवा में बने शिक्षक: 13,000+
- प्रभावित स्कूल: राज्य भर में कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी
- सरकारी सहायता: ग्रुप C और D कर्मचारियों को मासिक वित्तीय सहायता
🔍 निष्कर्ष
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता को उजागर करता है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप और सरकार की नई पहल से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं से बचा जा सकेगा और योग्य उम्मीदवारों को उनका उचित स्थान मिलेगा।
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