दिल्ली सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों और उनके परिजनों के पुनर्वास के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें सरकारी नौकरियों में नियुक्ति, आयु और शैक्षणिक योग्यता में छूट, और पेंशन योजनाओं में वृद्धि शामिल हैं। यह पहल पीड़ित परिवारों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
📰 1984 दंगा पीड़ितों को सरकारी नौकरियाँ: न्याय और पुनर्वास की दिशा में कदम
दिल्ली सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के परिजनों को सरकारी नौकरियों में नियुक्ति प्रदान की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्वयं इन लाभार्थियों को नियुक्ति पत्र सौंपे, जिससे लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा किया गया। यह पहल न केवल पीड़ित परिवारों को आजीविका का साधन प्रदान करती है, बल्कि उनकी गरिमा को भी पुनर्स्थापित करती है।
📊 आंकड़े और पात्रता में छूट
- नियुक्तियाँ: 88 दंगा पीड़ितों को मल्टी-टास्किंग स्टाफ (MTS) के पदों पर नियुक्ति दी गई है।
- आयु सीमा में छूट: उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 55 वर्ष तक की आयु वाले आवेदकों को सरकारी नौकरियों में आवेदन करने की अनुमति दी है।
- शैक्षणिक योग्यता में छूट: आवेदकों को आवश्यक शैक्षणिक योग्यता में भी छूट प्रदान की गई है, जिससे वे पात्रता मानदंडों को पूरा कर सकें।
🏛️ पुनर्वास पैकेज और सरकारी प्रयास
यह पहल 2006 में गृह मंत्रालय द्वारा स्वीकृत पुनर्वास पैकेज का हिस्सा है, जिसमें दंगा पीड़ितों के लिए नौकरियों का प्रावधान था। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति और पीड़ित परिवारों ने इस फैसले का स्वागत किया है, जो उनके संघर्षों को मान्यता देता है और उनके पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
💬 सरकारी अधिकारियों के बयान
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, “सरकार पीड़ितों के पुनर्वास और उनके जीवन को संवारने के लिए प्रतिबद्ध है।” उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भी इस निर्णय को दंगा पीड़ितों के लिए रोजगार का नया मार्ग खोलने वाला बताया।
📈 पेंशन योजनाओं में वृद्धि
दिल्ली सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए पेंशन योजनाओं में भी वृद्धि की है:
- वरिष्ठ नागरिक पेंशन: 60 से 69 वर्ष की आयु वाले बुजुर्गों को ₹2,000 प्रति माह और 70 वर्ष से अधिक आयु वालों को ₹2,500 प्रति माह पेंशन दी जाएगी।
- दिव्यांगजन पेंशन: 60% से अधिक दिव्यांगता वाले व्यक्तियों को ₹5,000 प्रति माह पेंशन प्रदान की जाएगी, जिससे दिल्ली इस राशि की पेंशन देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
🔚 निष्कर्ष
दिल्ली सरकार द्वारा 1984 के दंगा पीड़ितों के लिए उठाए गए ये कदम उनके सामाजिक और आर्थिक पुनर्वास की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। सरकारी नौकरियों में नियुक्ति, आयु और शैक्षणिक योग्यता में छूट, और पेंशन योजनाओं में वृद्धि जैसे उपाय पीड़ित परिवारों को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान करते हैं।


