नेपाल में सितंबर 2025 में हुए ऐतिहासिक जेन-ज़ी विरोध प्रदर्शनों के बाद देश में गहरा शोक और राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। इन प्रदर्शनों ने न केवल नेपाल की राजनीति को झकझोर दिया, बल्कि यह एक डिजिटल पीढ़ी की जागरूकता और सक्रियता का प्रतीक बन गए हैं।
🕯️ शहादत की संख्या और सरकारी घोषणा
नेपाल सरकार ने 15 सितंबर 2025 को घोषणा की कि हालिया विरोध प्रदर्शनों में मारे गए 72 लोगों को शहीद घोषित किया गया है। इनमें 59 प्रदर्शनकारी, 10 कैदी और 3 पुलिसकर्मी शामिल हैं। सरकार ने शहीदों के परिवारों को 10 लाख नेपाली रुपये (लगभग 7,000 अमेरिकी डॉलर) की राहत राशि देने की घोषणा की है।
🔥 विरोध की जड़ें और घटनाक्रम
यह विरोध प्रदर्शन सरकार द्वारा 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद शुरू हुआ। युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए विरोध किया। प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार, सरकारी अधिकारियों और उनके परिवारों की संपत्ति में असमानता, और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाई। 9 सितंबर 2025 को काठमांडू में संसद भवन पर हमले के बाद प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, 12 सितंबर 2025 को पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।
📉 पर्यटन क्षेत्र पर प्रभाव
प्रदर्शनों के कारण नेपाल के पर्यटन क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है। पिछले वर्ष की तुलना में पर्यटकों की संख्या में 30% की गिरावट आई है। काठमांडू के थमेल क्षेत्र में व्यवसायों ने बुकिंग रद्द होने की सूचना दी है। नेपाल की जीडीपी में पर्यटन का योगदान लगभग 8% है, जिससे यह गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
🧭 राजनीतिक बदलाव और भविष्य की राह
सुशीला कार्की की नियुक्ति के बाद, नेपाल में राजनीतिक स्थिरता की उम्मीदें जगी हैं। कार्की ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने और पारदर्शिता बढ़ाने का वादा किया है। उनकी नियुक्ति को एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, क्योंकि वे राजनीतिक दलों से बाहर की नेता हैं और न्यायपालिका में उनके योगदान को सराहा गया है।
📅 राष्ट्रीय शोक दिवस
नेपाल सरकार ने 17 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया है। इस दिन को शहीदों की याद में मनाया जाएगा, और उनके परिवारों को सम्मानित किया जाएगा। यह कदम सरकार की ओर से शहीदों के प्रति सम्मान और उनके संघर्ष की सराहना को दर्शाता है।
🧠 निष्कर्ष
नेपाल में जेन-ज़ी द्वारा नेतृत्व किए गए इस विरोध ने यह सिद्ध कर दिया कि युवा पीढ़ी अब केवल सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं है, बल्कि वे वास्तविक दुनिया में भी बदलाव की दिशा निर्धारित कर रहे हैं। यह आंदोलन न केवल नेपाल, बल्कि समूचे दक्षिण एशिया में युवाओं की शक्ति और जागरूकता का प्रतीक बन गया है।


