अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने हलचल मचा दी है। अगस्त 2025 से दोनों देशों के बीच व्यापार और कूटनीतिक संबंधों में कड़वाहट बढ़ती जा रही है। अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50% तक अतिरिक्त शुल्क लागू कर दिया है, जिससे भारतीय निर्यातकों, उद्योगों और आर्थिक नीति निर्माताओं के बीच चिंता बढ़ गई है। भारत ने इस कदम को “अन्यायपूर्ण और अव्यावहारिक” बताते हुए इसका विरोध दर्ज कराया है।
📌 मामला क्या है?
✔ अमेरिका ने भारतीय उत्पादों — विशेष रूप से कपड़ा, स्टील, फार्मास्युटिकल्स, कृषि उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक्स — पर अतिरिक्त शुल्क लागू किया है।
✔ शुल्क दरें 25% से लेकर 50% तक हैं, जो वैश्विक व्यापार में असंतुलन पैदा कर सकती हैं।
✔ अमेरिका का कहना है कि भारत ने घरेलू नीति में संरक्षणवाद अपनाया है, जबकि भारत इसे आर्थिक दबाव बनाने की रणनीति मानता है।
✔ भारत ने जवाब में WTO (विश्व व्यापार संगठन) में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
📊 प्रभावित क्षेत्रों के आंकड़े
क्षेत्र निर्यात मूल्य (2024-25) प्रभावित हिस्सेदारी कपड़ा एवं परिधान ₹1.2 लाख करोड़ 40% स्टील और धातु ₹85,000 करोड़ 30% फार्मास्युटिकल्स ₹60,000 करोड़ 25% कृषि उत्पाद ₹45,000 करोड़ 20% इलेक्ट्रॉनिक्स ₹70,000 करोड़ 15%
✔ अनुमान है कि कुल भारतीय निर्यात का लगभग 18% हिस्सा सीधे तौर पर प्रभावित हो सकता है।
✔ MSME सेक्टर में 30 लाख से अधिक छोटे उद्योग अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं।
✔ फार्मा क्षेत्र में लगभग 1.5 लाख लोगों की रोज़गार सुरक्षा खतरे में आ सकती है।
🏛 भारत की प्रतिक्रिया
✔ भारत ने अमेरिका के कदमों को व्यापार नियमों का उल्लंघन बताया।
✔ विदेश मंत्रालय ने बयान दिया कि यह शुल्क वैश्विक व्यापार के लिए “हानिकारक और असंतुलित” हैं।
✔ भारत ने WTO और G20 मंचों पर मुद्दा उठाने की योजना बनाई है।
✔ भारत सरकार ने निर्यातकों को समर्थन देने के लिए आपात राहत पैकेज पर विचार शुरू कर दिया है।
🌐 अमेरिका का पक्ष
✔ अमेरिका का तर्क है कि भारत ने “अत्यधिक संरक्षणवाद” अपनाया है।
✔ अमेरिका का दावा है कि भारत द्वारा कुछ उत्पादों पर सब्सिडी दी जा रही है, जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो रही है।
✔ अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ने कहा कि “न्यायसंगत व्यापार सुनिश्चित करना हमारा दायित्व है।”
📈 आर्थिक प्रभाव
✔ भारतीय निर्यात में गिरावट का अनुमान 10–15% तक लगाया गया है।
✔ डॉलर के मुकाबले रुपया गिर सकता है, जिससे आयात महंगे होंगे।
✔ कंपनियों को उत्पादन रणनीति बदलनी पड़ सकती है।
✔ दीर्घकाल में यह विवाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर सकता है।
🧑💼 उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
✔ निर्यातकों ने इसे “गंभीर संकट” बताया है।
✔ स्टील उद्योग के प्रतिनिधियों ने कहा कि कई ऑर्डर रद्द हो सकते हैं।
✔ फार्मा कंपनियों ने अमेरिका में दवाइयों की आपूर्ति में बाधा आने की आशंका जताई।
✔ कृषि उत्पाद निर्यातकों ने समर्थन पैकेज की मांग की है।
✅ समाधान की दिशा
✔ WTO में मामला उठाना
✔ द्विपक्षीय वार्ता तेज करना
✔ वैकल्पिक बाजारों की तलाश
✔ घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित कर प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
✔ व्यापार नीति में सुधार लाना
✅ निष्कर्ष
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता व्यापारिक तनाव वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता ला सकता है। अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% तक शुल्क से भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकते हैं। भारत ने इसे अन्यायपूर्ण बताते हुए विरोध किया है और WTO सहित कई मंचों पर समाधान तलाश रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों से मामला नहीं सुलझा तो यह विवाद दीर्घकालिक आर्थिक चुनौतियाँ पैदा कर सकता है।


