पुणे, 20 सितम्बर 2025।
भारत का बायोटेक सेक्टर फिलहाल 130 अरब डॉलर का है और अगले 5-7 वर्षों में 300 अरब डॉलर तक पहुँचने की संभावना है। जानिए कैसे हेल्थकेयर, एग्री-बायोटेक और जेनेटिक रिसर्च भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देंगे।
भारत का बायोटेक सेक्टर आने वाले वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ साबित हो सकता है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पुणे में आयोजित SYMRESEARCH 2.0 सम्मेलन के दौरान कहा कि वर्तमान में भारत का बायोटेक उद्योग लगभग 130 अरब डॉलर (करीब ₹10.8 लाख करोड़) का है।
सरकार के आकलन के अनुसार, अगले 5–7 वर्षों में यह इंडस्ट्री 300 अरब डॉलर (करीब ₹25 लाख करोड़) तक पहुँच सकती है। यह वृद्धि न केवल पारंपरिक फार्मा और हेल्थकेयर क्षेत्रों में होगी, बल्कि जेनेटिक रिसर्च, बायोफार्मा, कृषि-बायोटेक, वेस्ट रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी और बायो-एग्री इनोवेशन जैसे नए क्षेत्रों में भी तेज़ी से देखने को मिलेगी।
बायोटेक सेक्टर में भारत की वैश्विक स्थिति
- भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बायोटेक इकोसिस्टम है।
- देश में वर्तमान में 5,500+ बायोटेक स्टार्टअप्स सक्रिय हैं।
- 2030 तक यह संख्या 10,000 से अधिक होने का अनुमान है।
- भारतीय बायोटेक उद्योग में लगभग 30% हिस्सेदारी हेल्थकेयर, 20% एग्रीकल्चर-बायोटेक और 15% बायो-इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस की है।
सम्मेलन में उठाए गए मुद्दे
सम्मेलन में विशेषज्ञों ने बताया कि भारत का फोकस अब पारंपरिक दवा निर्माण से आगे बढ़कर
- जीन एडिटिंग,
- प्रिसीजन मेडिसिन,
- ऑर्गेनिक रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी,
- और टिकाऊ कृषि समाधान पर है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “मेक इन इंडिया” और “स्टार्टअप इंडिया” अभियानों के कारण बायोटेक इंडस्ट्री को मजबूत नीतिगत सहयोग मिल रहा है। इसके चलते विदेशी निवेशक भी भारत को बायोटेक रिसर्च और उत्पादन का हब मानने लगे हैं।
रोजगार और अवसर
विशेषज्ञों का मानना है कि बायोटेक सेक्टर की तेजी से वृद्धि से आने वाले वर्षों में 20 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। इससे भारत न केवल घरेलू ज़रूरतों को पूरा करेगा बल्कि बायोटेक प्रोडक्ट्स और टेक्नोलॉजी का वैश्विक निर्यातक भी बनेगा।


