भारत ने 2025 के शंघाई सहयोग संगठन (SCO) रक्षा मंत्रियों के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया। जानें क्या था विवाद का कारण, भारत की आपत्ति और इसका भू-राजनीतिक महत्व।
🛡️ भारत ने SCO के संयुक्त रक्षा बयान से बनाई दूरी
26 जून 2025, कजाकिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम सामने आया, जब भारत ने अंतिम संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। भारत की ओर से यह फैसला तब लिया गया जब यह पाया गया कि साझा बयान में आतंकवाद के मुद्दे को गंभीरता से नहीं उठाया गया, विशेषकर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को लेकर।
🧭 SCO बैठक: प्रमुख बिंदु
- आयोजन स्थल: अस्ताना, कजाकिस्तान
- तिथि: 25–26 जून 2025
- उपस्थित देश: भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, ईरान
भारत का प्रतिनिधित्व रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने किया।
❌ भारत की आपत्ति: आतंकवाद को लेकर अस्पष्ट भाषा
भारत ने अपने बयान में स्पष्ट कहा कि –
“किसी भी आतंकवादी गतिविधि के लिए शून्य सहनशीलता की नीति ही SCO जैसे मंच पर होनी चाहिए। भारत इस प्रकार के बयान का समर्थन नहीं कर सकता, जिसमें आतंकवाद का उल्लेख अस्पष्ट हो और पाकिस्तान जैसे देशों के समर्थन को नज़रअंदाज़ किया गया हो।”
विशेष रूप से, भारत ने इस पर आपत्ति जताई कि बयान में “आतंकवाद को किसी विशेष राष्ट्र या समूह से नहीं जोड़ने” की बात की गई थी, जो भारत की सुरक्षा चिंताओं के विपरीत है।
🇮🇳 भारत का रुख: दृढ़ लेकिन संतुलित
भारत ने SCO के बाकी सभी सत्रों में भाग लिया और अपनी बात भी मजबूती से रखी। परंतु, संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर न करने का निर्णय यह दर्शाता है कि भारत अब आतंकवाद पर “One-size-fits-all” नीति से असहमत है और अपनी सुरक्षा प्राथमिकताओं से समझौता नहीं करेगा।
🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- रूस और चीन ने बयान के पक्ष में समर्थन जताया, जबकि
- ईरान और ताजिकिस्तान ने भारत की चिंताओं को “वाजिब” बताया।
- पाकिस्तान की ओर से कोई औपचारिक टिप्पणी नहीं आई, लेकिन पाकिस्तानी मीडिया ने भारत के इस कदम को “राजनयिक स्टंट” बताया।
📊 SCO का उद्देश्य क्या है?
SCO का गठन 2001 में क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, आतंकवाद निरोध, और आपसी भरोसे को बढ़ावा देने के लिए हुआ था। भारत 2017 में पूर्ण सदस्य बना। भारत का यह स्टैंड दिखाता है कि वह आतंकवाद के विरुद्ध समझौतावादी दृष्टिकोण से हटकर ठोस कार्रवाई चाहता है।
📌 निष्कर्ष
भारत का SCO रक्षा मंत्रियों के साझा बयान से दूरी बनाना एक कड़ा लेकिन सटीक संदेश है — “आतंकवाद के खिलाफ कोई नरमी नहीं।”
इस फैसले से भारत की विदेश नीति में बढ़ती स्पष्टता और आत्मनिर्भर कूटनीति का संकेत मिलता है।
🖋️ लेखक टिप्पणी:
इस खबर का असर आने वाले G20, BRICS, और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर भी दिख सकता है, जहां भारत अपनी सुरक्षा प्राथमिकताओं को प्राथमिकता देने की नीति जारी रखेगा।( Image source: apnews.com)


