भारत की शहरी बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में घटकर 6.8% पर आ गई है, जो अब तक की सबसे कम दर है। यह लगातार सातवीं तिमाही है जब बेरोजगारी में गिरावट दर्ज की गई है।
भारत में शहरी बेरोजगारी दर घटी, सातवीं तिमाही में जारी रहा सुधार
भारत की आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण संकेतक — शहरी बेरोजगारी दर — एक बार फिर सकारात्मक रुझान दिखा रहा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से मार्च 2025 की तिमाही में शहरी बेरोजगारी दर घटकर 6.8% रह गई है। यह आंकड़ा सर्वे शुरू होने के बाद से सबसे कम है और लगातार सातवीं तिमाही में गिरावट दर्ज की गई है।
क्या है बेरोजगारी दर?
बेरोजगारी दर का अर्थ है – कितने प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो काम करने की क्षमता और इच्छा रखते हैं, लेकिन उन्हें रोजगार नहीं मिल पाया है। शहरी बेरोजगारी दर विशेष रूप से शहरों में रहने वाले लोगों के लिए होती है, जहां नौकरी की तलाश और प्रतिस्पर्धा अधिक होती है।
आंकड़ों की गहराई से जानकारी:
- जनवरी–मार्च 2025 की तिमाही में बेरोजगारी दर: 6.8%
- पिछली तिमाही (अक्टूबर–दिसंबर 2024) में दर: 7.1%
- साल 2024 की शुरुआत में दर: 7.7%
- सात तिमाहियों में निरंतर गिरावट: अगस्त 2023 से शुरू होकर अब तक
- महिलाओं की बेरोजगारी दर: 9.1% (2025 Q1)
- पुरुषों की बेरोजगारी दर: 6.3% (2025 Q1)
यह सुधार मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस सेक्टर और MSME में रोजगार अवसरों में बढ़ोत्तरी के कारण हुआ है। साथ ही डिजिटल स्किल्स और वर्क-फ्रॉम-होम मॉडल ने भी शहरों में युवाओं को अधिक रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्री मानते हैं कि यह गिरावट भारत की आर्थिक मजबूती और सरकारी रोजगार योजनाओं जैसे कि पीएम मुद्रा योजना, स्किल इंडिया मिशन और स्टार्टअप इंडिया की सफलता को दर्शाती है।
“शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर में गिरावट इस बात का संकेत है कि देश की अर्थव्यवस्था महामारी के बाद स्थिरता की ओर बढ़ रही है,” – डॉ. पंकज त्रिवेदी, श्रम अर्थशास्त्री
आगे की राह
हालांकि यह दर उत्साहजनक है, लेकिन महिलाओं की बेरोजगारी दर अभी भी चिंताजनक है। इसके लिए महिलाओं के लिए सुरक्षित और लचीले कार्य वातावरण की आवश्यकता है। इसके साथ ही सरकार को गुणवत्ता युक्त रोजगार, स्किल डेवलपमेंट और MSME सेक्टर को बढ़ावा देना चाहिए।
निष्कर्ष
भारत की शहरी बेरोजगारी दर में गिरावट एक सकारात्मक संकेत है। इससे न केवल लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि देश की कुल उत्पादकता और विकास दर को भी बल मिलेगा। यह समय है कि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर युवाओं को बेहतर अवसर देने के लिए ठोस कदम उठाएं।
📚 स्रोत:
- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO)
- इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट (31 मई 2025)
- पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) – 2025 Q1


