कर्नाटक में पर्यटन को नई उड़ान: तटीय और होमस्टे नीतियों की घोषणा

बेंगलुरु, 20 सितम्बर 2025।

कर्नाटक सरकार ने Coastal Tourism Policy और Homestay Policy की घोषणा की है। इनसे पर्यटन ढाँचे को मजबूती, स्थानीय समुदायों को रोजगार और तटीय इलाकों में विकास को नई दिशा मिलेगी।

कर्नाटक सरकार ने राज्य के तटीय इलाकों और आतिथ्य उद्योग को बढ़ावा देने के लिए Coastal Tourism Policy और Homestay Policy की घोषणा की है। इन नई नीतियों का उद्देश्य न केवल पर्यटन ढाँचे को मज़बूत करना है बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए नए रोजगार अवसर पैदा करना और राज्य को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करना भी है।

तटीय पर्यटन नीति (Coastal Tourism Policy)

  • कर्नाटक का 320 किलोमीटर लंबा समुद्री तट है, जिसमें मंगलुरु, कारवार, उडुपी और गोकर्ण जैसे प्रमुख बीच शामिल हैं।
  • नई नीति के तहत सरकार बीच विकास परियोजनाओं, क्रूज़ टूरिज्म, एडवेंचर वॉटर स्पोर्ट्स और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देगी।
  • राज्य सरकार ने इस नीति के लिए शुरुआती तौर पर ₹750 करोड़ का विशेष बजट निर्धारित किया है।
  • इसके अलावा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि निजी कंपनियाँ भी इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं में निवेश कर सकें।

होमस्टे नीति (Homestay Policy)

  • कर्नाटक सरकार का मानना है कि ग्रामीण और तटीय इलाकों में होमस्टे मॉडल से न केवल पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का अनुभव मिलेगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
  • नीति के तहत पंजीकृत होमस्टे मालिकों को टैक्स रियायतें और सुविधाजनक लोन योजनाएँ दी जाएँगी।
  • पर्यटन विभाग ने अनुमान लगाया है कि आने वाले पाँच वर्षों में इस नीति से 20,000 से अधिक नए होमस्टे यूनिट्स विकसित होंगे।

संभावित लाभ

  • विशेषज्ञों का मानना है कि इन नीतियों से राज्य की पर्यटन आय में 30% तक की वृद्धि हो सकती है।
  • 2030 तक कर्नाटक में पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों में 5 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर बनने की संभावना है।
  • तटीय इलाकों में छोटे व्यवसाय जैसे रेस्टोरेंट्स, कैफ़े, लोकल हैंडीक्राफ्ट शॉप्स और ट्रैवल एजेंसियों को भी बड़ा लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री का बयान

कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा,

“हमारा उद्देश्य है कि कर्नाटक न केवल आईटी और औद्योगिक क्षेत्र में बल्कि पर्यटन में भी देश का अग्रणी राज्य बने। ये नई नीतियाँ निवेश आकर्षित करेंगी, रोजगार सृजित करेंगी और कर्नाटक की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर पहुँचाएँगी।”

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