महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस नेता नाना पटोले को एक दिन के लिए निलंबित किए जाने पर विपक्ष ने जोरदार विरोध जताया। जानिए पूरा मामला, विवाद की जड़ और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।
🗓️ दिनांक: 1 जुलाई 2025
📰 श्रेणी: राजनीति समाचार | महाराष्ट्र विधानसभा
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सोमवार, 1 जुलाई 2025 को सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार देखने को मिली। इस सत्र की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस नेता और विधायक नाना पटोले को सदन के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया, जिससे सदन का माहौल काफी गर्म हो गया।
क्या था मामला?
नाना पटोले ने प्रश्नकाल के दौरान ओबीसी आरक्षण, किसानों के मुद्दे और महंगाई को लेकर सरकार से तीखे सवाल पूछे। लेकिन जब उन्हें अध्यक्ष द्वारा टोक दिया गया, तो उन्होंने अपना विरोध जोरदार तरीके से व्यक्त किया और अध्यक्ष की बात को अनसुना कर दिया।
इस “अनुशासनहीन व्यवहार” को देखते हुए, अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने नाना पटोले को सदन से एक दिन के लिए निलंबित करने की घोषणा की। इसके बाद विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और शिवसेना (UBT), ने अध्यक्ष के इस निर्णय का जोरदार विरोध किया।
विपक्ष का आक्रोश
विपक्ष ने इस कार्रवाई को “लोकतंत्र की आवाज दबाने की साजिश” बताया और सदन के भीतर ही प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने कहा:
“यह सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। नाना पटोले का निलंबन पूरी तरह अलोकतांत्रिक है।”
विपक्षी विधायकों ने ‘तानाशाही नहीं चलेगी’, ‘लोकतंत्र बचाओ’ जैसे नारों के साथ वेल में आकर प्रदर्शन किया। इस कारण सदन की कार्यवाही को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा।
सरकार की प्रतिक्रिया
विधान परिषद में नेता सदन देवेंद्र फडणवीस ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सदन में अनुशासन बनाए रखना अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी है, और कोई भी सदस्य यदि नियमों की अनदेखी करता है तो उस पर कार्रवाई ज़रूरी है। उन्होंने विपक्ष से संयम बरतने की अपील की।
नाना पटोले का बयान
सदन से बाहर आकर मीडिया से बात करते हुए नाना पटोले ने कहा:
“मैंने केवल जनता के मुद्दे उठाए थे—ओबीसी आरक्षण, महंगाई, बेरोजगारी। अगर ये सवाल पूछना अपराध है तो मैं ऐसे अपराध सौ बार करूंगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष सरकार के खिलाफ सड़कों पर भी आंदोलन करेगा।
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना आने वाले BMC चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2029 को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने एजेंडे को मजबूत करने में लगे हुए हैं।
पिछला रिकॉर्ड
यह पहली बार नहीं है जब मानसून सत्र में हंगामा हुआ हो। पिछले साल 2024 के सत्र में भी विपक्ष के चार विधायकों को तीन दिन के लिए निलंबित किया गया था। ऐसा प्रतीत होता है कि सदन में विवाद अब एक आम बात बनती जा रही है।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र विधानसभा में नाना पटोले के निलंबन को लेकर पैदा हुआ यह विवाद न केवल राज्य की राजनीति को गर्म कर गया है, बल्कि यह दर्शाता है कि जनता के मुद्दों पर संवाद की कमी और राजनीतिक असहिष्णुता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार और विपक्ष आपसी संवाद से कोई समाधान निकालते हैं या फिर यह टकराव और बढ़ेगा।


