भारतीय रिज़र्व बैंक ने लिया बड़ा मौद्रिक निर्णय
11 जून 2025 को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट (0.50%) की कटौती की घोषणा की। यह पिछले पाँच वर्षों में सबसे बड़ी दर कटौती मानी जा रही है। इस निर्णय का उद्देश्य है मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बनाए रखना और आर्थिक विकास दर को 7–8% तक पहुंचाना।
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क्या है रेपो रेट और इसका क्या असर होता है?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI अन्य बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है।
जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी सस्ते ऋण देते हैं।
इससे मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ती है और उपभोग व निवेश को प्रोत्साहन मिलता है।
नई दरें:
पुराना रेपो रेट: 6.50%
नई रेपो रेट: 6.00%
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महंगाई पर स्थिति
RBI के अनुसार:
मुद्रास्फीति दर अप्रैल 2025 में 4.72% रही, जो 2023 के औसत 5.4% से कम है।
खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में स्थिरता आई है।
हालांकि RBI ने चेताया है कि मानसून और वैश्विक कच्चे तेल कीमतें अभी भी जोखिम पैदा कर सकती हैं।
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क्यों लिया गया यह फैसला?
1. विकास दर बढ़ाना:
सरकार और RBI का लक्ष्य है कि देश की GDP ग्रोथ 7–8% तक लाई जाए।
2. निवेश को बढ़ावा देना:
सस्ते ऋण से MSME, उद्योगों और स्टार्टअप्स को आर्थिक बल मिलेगा।
3. निजी खपत में सुधार:
EMI कम होने से आम जनता के हाथ में खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा बचेगा।
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विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञ विचार
डॉ. राजीव कुमार (पूर्व नीति आयोग) “RBI ने उचित समय पर फैसला लिया है, लेकिन यह देखना होगा कि मॉनसून और वैश्विक बाजार कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।”
सोनल वर्मा (नोमुरा) “RBI का रुख अब ‘growth supportive’ है, लेकिन वह महंगाई पर भी निगरानी बनाए रखेगा।”
रेटिंग एजेंसी CRISIL “कटौती का असर Q3 से दिखने लगेगा, लेकिन कंज्यूमर क्रेडिट ग्रोथ पर सबसे तेज प्रभाव पड़ेगा।”
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आम आदमी पर असर
क्षेत्र असर
होम लोन EMI में ₹500–₹1000 तक की कमी संभव
ऑटो लोन ब्याज दरें 8–9% तक आ सकती हैं
पर्सनल लोन सस्ते और जल्दी अप्रूव हो सकते हैं
एफडी रिटर्न बैंकों द्वारा जमा दरों में कटौती संभव
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आगे का रास्ता
RBI ने संकेत दिया है कि यदि महंगाई लक्ष्य के भीतर बनी रहती है और वैश्विक अस्थिरता नहीं बढ़ती, तो आगे और कटौती की संभावना है।
हालांकि, भविष्य की नीतियाँ मानसून, वैश्विक बाजार, और खाद्य कीमतों पर निर्भर करेंगी।
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✍️ निष्कर्ष
RBI की इस ऐतिहासिक कटौती से भारत की अर्थव्यवस्था को गति मिलने की उम्मीद है। सस्ते लोन और निवेश को बढ़ावा मिलना तय है, लेकिन आम आदमी को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि वैश्विक और घरेलू बाजार की अनिश्चितताएं अब भी बनी हुई हैं।


