वट सावित्री व पूर्णिमा व्रत 10 जून 2025: धार्मिक, ज्योतिषीय और सामाजिक महत्व

10 जून 2025 को वट सावित्री व्रत और ज्येष्ठ पूर्णिमा एक साथ पड़ रहे हैं। जानिए इस शुभ तिथि का धार्मिक, ज्योतिषीय और पौराणिक महत्व। कौन-सी राशियों पर पड़ेगा इसका सकारात्मक प्रभाव।

 वट सावित्री व्रत और पूर्णिमा: 10 जून 2025 – एक अत्यंत शुभ संयोग

10 जून 2025 को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा और वट सावित्री व्रत एक साथ पड़ रहे हैं। यह दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस तिथि पर व्रत, पूजा और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

 पंचांग के अनुसार तिथि व मुहूर्त

विवरण समय / जानकारी

तिथि ज्येष्ठ पूर्णिमा
दिन मंगलवार
व्रत वट सावित्री व्रत, सत्यनारायण पूजा, चंद्रदर्शन
पूर्णिमा तिथि आरंभ 9 जून रात 11:12 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त 10 जून रात 1:45 बजे
शुभ मुहूर्त (पूजा) सुबह 6:12 से 8:45 बजे तक
चंद्रदर्शन मुहूर्त रात 8:10 बजे

 वट सावित्री व्रत का धार्मिक महत्व

वट सावित्री व्रत सुहागन स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुखद जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं बरगद (वट वृक्ष) की पूजा करती हैं और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। यह व्रत विवाहिक जीवन की स्थिरता, प्रेम और सौभाग्य को बढ़ाने वाला माना जाता है।

 पूजन विधि:

1. सुबह स्नान करके व्रत संकल्प लें।

2. वट वृक्ष के पास जाकर जल, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, मिठाई अर्पित करें।

3. कच्चा सूत (राखी) वट वृक्ष के चारों ओर 7 या 21 बार लपेटें।

4. सावित्री-सत्यवान कथा का श्रवण करें।

5. रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करें।

 पूर्णिमा का विशेष महत्व

पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु, सत्यनारायण, और चंद्रदेव की आराधना का उत्तम समय होती है। इस दिन लोग सत्यनारायण व्रत कथा, दान-पुण्य और गंगा स्नान करते हैं। चंद्रमा की रोशनी मानसिक शांति और ऊर्जा प्रदान करती है।

 ज्योतिषीय प्रभाव: किन राशियों पर शुभ फल

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार की पूर्णिमा और व्रत संयोजन से निम्न राशियों पर विशेष शुभ प्रभाव पड़ेगा:

राशि प्रभाव

वृषभ धन लाभ और पारिवारिक सुख
कर्क विवाह योग और मानसिक शांति
तुला नौकरी में प्रमोशन और नई जिम्मेदारियाँ
मीन आध्यात्मिक उन्नति और सम्मान

 पौराणिक कथा संक्षेप में

सावित्री एक पतिव्रता स्त्री थी जिन्होंने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस प्राप्त किया। यह व्रत नारी शक्ति, समर्पण और विश्वास का प्रतीक है। कथा में बताया गया है कि किस प्रकार सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प से यमराज को भी झुका दिया।

爐 दान-पुण्य का विशेष अवसर

इस दिन किए गए दान को सहस्त्र गुना पुण्य प्राप्त होता है। प्रमुख दान:

तिल, चावल, वस्त्र, घी, जल पात्र

ब्राह्मण भोजन और दक्षिणा

चंद्रदेव को दूध और चावल अर्पण

 निष्कर्ष

10 जून 2025 का दिन आध्यात्मिक, धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत शुभ है। यह दिन न केवल परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि वैवाहिक जीवन में स्थायित्व, मानसिक संतुलन और जीवन के शुभ आरंभ का अवसर भी है। सभी श्रद्धालु इस दिन व्रत, पूजा और दान करके अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करें

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